खाटूश्यामजी मंदिर का इतिहास - सीकर जिले का खाटूश्यामजी कस्बा बाबा श्याम के मंदिर की वजह से सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है. बाबा श्याम की इस पावन धरा को खाटूधाम के नाम से भी जाना जाता है.
कहते हैं कि बाबा श्याम उन लोगों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं जो लोग सब जगह से निराश हो जाते हैं, हार जाते हैं. इसलिए इन्हें हारे के सहारे के नाम से भी जाना जाता है. प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अपने आराध्य के दरबार में शीश नवाने खाटू नगरी आते हैं.
राजा खट्टवांग ने 1720 ईस्वी (विक्रम संवत 1777) में बर्बरीक के शीश की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करवाई. बाद में बाबा श्याम के मंदिर की वजह से यह गाँव खाटूश्यामजी के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
बाबा श्याम का मंदिर कस्बे के बीच में बना हुआ है. मंदिर के दर्शन मात्र से ही मन को बड़ी शान्ति मिलती है. सफेद संगमरमर से निर्मित यह मंदिर अत्यंत भव्य है.
मंदिर में पूजा करने के लिए बड़ा हाल बना हुआ है जिसे जगमोहन के नाम से जाना जाता है. इसकी चारों तरफ की दीवारों पर पौराणिक चित्र बने हुए है. गर्भगृह के दरवाजे एवं इसके आसपास की जगह को चाँदी की परत से सजाया हुआ है. गर्भगृह के अन्दर बाबा का शीश स्थित है. शीश को चारों तरफ से सुन्दर फूलों से सजाया जाता है.
मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं के लिए बड़ा सा मैदान है. मंदिर के दाँई तरफ मेला ग्राउंड है. इसी तरफ मंदिर का प्रशासन सँभालने वाली श्याम मंदिर कमेटी का कार्यालय भी स्थित है.
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